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जया बच्चन और रवि किशन विवाद में ना पड़े बहुजन।

धर्म जात पात में फंसे हुए बहुजनो रुको ठहर जाओ. किसी एक का पक्ष लेने से पहले एक बात आंख खोलकर पढ़ लो !

मैडम जी का नाम जया भादुड़ी (जया बच्चन) है जो जाति से बंगाली ब्राह्मण हैं. इनकी, इनके पति, बेटे और बहू की संपत्ति कुल मिलाकर 5,000 करोड़ से ज्यादा है. और इसमें पनामा पेपर्स की बेमानी संपत्ति को अभी शामिल नही किया गया हैं।

भोजपूरी के सुपरस्टार रवि किशन जी का पूरा नाम रविन्द्र श्यामनारायण शुक्ला है, इनकी संपत्ति 200 करोड़ से अधिक है !


जिन बहुजनो की संपत्ति 200 करोड़ से ज्यादा है, वही लोग इन दो द्विज ब्राह्मणों के आपसी विवाद में पड़े. नही तो चुप चाप मेहनत मजदूरी करते रहे और सोचे समझे ऐसा क्यों हैं?

रवि किशन जी ने कहा हिंदी फिल्म इंडस्ट्री ड्रग्स का अड्डा बन चुकी है. कल को उनके बच्चे फ़िल्म इंडस्ट्री में जाएं उससे पहले फ़िल्म इंडस्ट्री से ड्रग्स का सफाया होना चाहिए !

श्रीमती जया भादुड़ी (बच्चन) जी को रवि किशन जी की बात बुरी लगी. उन्होंने कहा फ़िल्म इंडस्ट्री ड्रग्स का अड्डा नही है. देवी माँ इतने पर नही रुकी, उन्होंने कहा रवि किशन जिस थाली में खाता है उसी में छेद किया !

संसद भवन में आम आदमी के जुड़े मुद्दों पर बहस होनी चाहिए. ना कि किसी निजी एजेंडे या जाति वर्चस्व पर !


मार्च महीने से देश महामारी और अर्थव्यवस्था संकट से जूझ रहा है. करोड़ों मजदूरों ने भूखे प्यासे पेट पैदल पलायन किया. दलितों मुस्लिमों की लिंचिग होती रही, बेरोजगारी और निजीकरण के विरोध में सड़को पर डंडे खा रहे, किसानों अपनी मांगे के लिए सड़कों पर पुलिस प्रशासन के द्वारा पीटा जा रहा, इत्यादी मुद्दों पर जया बच्चन खामोश रही, अमिताभ बच्चन खामोश रहे रवि किशन तो दिखाई भी नहीं दिए, आज अचानक कैसे फ़िल्म इंडस्ट्री की वकालत करने उतर आयी ? क्या ये आप का मुद्दा है नहीं ये देश के असल मुद्दों से ध्यान भटकाने और भोली भाली जनता को बेकार के मुद्दों में फंसाकर रखने के लिए ऐसे मुद्दों को सरकार के द्वारा उठवाया जाता है जिसको गोदी मिडिया बड़े पैमाने पर दिखने लगती हैं जिसका सीधा असर जनता के असल मुद्दो से बटकाने के अलावा कुछ और नहीं हैं अब समझ को सरकार के विरोध में पर्बल करके उसके द्वारा लिए का रहे किए जा रहे मिडिया के द्वारा फैलाए जा रहे मुद्दो के पीछे की राजनीति को समझने का विचार करेंगे तो समझ सकते हैं।

क्या ऐसे लोग सामाजिक न्याय.. सामाजिक विकास.. सामाजिक परिवर्तन लाएंगे ?

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