संसद में सवाल- लॉकडाउन के वक्त कितने प्रवासी मजदूरों की जान गई? सरकार बोली- पता नहीं.संसद का मॉनसून सत्र शुरू हो गया है, विपक्ष की ओर से इस बार लिखित तरीके से सवाल पूछे जा रहे हैं. कोरोना संकट काल और लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूरों पर काफी संकट आया था, सरकार से इसी मसले पर सवाल पूछा गया. विपक्ष के कुछ सांसदों ने इस बीच हुई प्रवासी मजदूरों की मौत के आंकड़े की जानकारी मांगी, जिसपर सरकार ने कहा कि उनके पास ऐसा डाटा नहीं है.
लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के मसले पर सवाल थे कि क्या सरकार प्रवासी मजदूरों के आंकड़े को पहचानने में गलती कर गई, क्या सरकार के पास ऐसा आंकड़ा है कि लॉकडाउन के दौरान कितने मजदूरों की मौत हुई है क्योंकि हजारों मजदूरों के मरने की बात सामने आई है. इसके अलावा सवाल पूछा गया कि क्या सरकार ने सभी राशनकार्ड धारकों को मुफ्त में राशन दिया है, अगर हां तो उसकी जानकारी दें.
इसके अलावा लिखित सवाल में कोरोना संकट के दौरान सरकार द्वारा उठाए गए अन्य कदमों की जानकारी मांगी गई.
केंद्र सरकार की ओर से मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने लिखित जवाब दिया, जिसमें कहा गया है कि भारत ने एक देश के रूप में केंद्र-राज्य सरकार, लोकल बॉडी ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ी है. मौत के आंकड़ों को लेकर सरकार का कहना है कि उनके पास ऐसा कोई डाटा नहीं है.
वहीं, राशन के मसले पर मंत्रालय की ओर से राज्यवार आंकड़ा उपलब्ध ना होने की बात कही है. लेकिन 80 करोड़ लोगों को पांच किलो अतिरिक्त चावल या गेहूं, एक किलो दाल नवंबर 2020 तक देने की बात कही गई है. इससे अलग सरकार की ओर से लॉकडाउन के वक्त गरीब कल्याण योजना, आत्मनिर्भर भारत पैकेज, EPF स्कीम जैसे लिए गए फैसलों की जानकारी दी गई है.
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गौरतलब है कि लॉकडाउन लगने के तुरंत बाद लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर सड़कों पर आ गए थे और पैदल ही घर जाने लगे थे. इस दौरान कई मजदूरों की एक्सीडेंट, भूख-प्यास और तबीयत खराब होने के कारण मरने की खबर भी आई थी, जिसपर विपक्ष ने सरकार को घेरा था.

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