मशहूर शायर और इंदौर की बुलंद आवाज़, जिनके अंदाजे बयां की पूरी दुनिया कायल थी। वो आवाज जिसका आगाज एक नए अंदाज में 1972 में हुआ था, वो आवाज और वो अंदाज अब इस दुनिया को अलविदा कहकर हमेशा के लिए रूखसत हो गई। मशहूर शायर राहत इंदौरी का दिल का दौरा पड़ने से मंगलवार को निधन हो गया. वे कोरोना वायरस से भी संक्रमित थे, जिसके उपचार के लिए उन्हें मध्य प्रदेश के इंदौर में 9 अगस्त की देर रात श्रीअरबिंदो अस्तपाल में भर्ती कराया गया था। श्री अरबिंदो अस्पताल ने उनके निधन की पुष्टि की है। समाचार एजेंसी ANI को अस्पताल के डॉक्टर विनोद भंडारी ने बताया, "राहत इंदौरी साहब अब नहीं रहे। उन्हें दो दिल के दौरे पड़े थे, पर हम उन्हें नहीं बचा सके।
उसकी दुखद निधन पर बीएसपी सुप्रीमो मायावती जी ने दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि मशहूर अवामी शायर राहत इन्दौरी के आज अचानक निधन की खबर अति-दुःखद। उनकी कमी को उर्दू अदब की दुनिया में पूरी करना शायद मुश्किल होगा। उनके शोकसंतप्त परिवार व उनके करोड़ों चाहने वालों के प्रति मेरी गहरी संवेदना। कुदरत उन सबको इस दुःख को सहन करने की शक्ति दे।
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साथ हीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी अपना दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि यूँ तो सारी दुनिया के थे
बस कहने को इंदौरी थे राहत इंदौरी जी को याद करते हुए...
राहत इंदौरी याद रखे जाएँगे। सरकारों के सामने दहाड़ने वाले शायर थे। मिमियाने वाले नहीं। दाद के तलबगार नहीं थे। दावा करने वाले शायर थे। इसलिए उनकी शायरी में वतन से मोहब्बत और उसकी मिट्टी पर हक़ की दावेदारी ठाठ से कर गए। नागरिकता क़ानून के विरोध के दौर में उनके शेर सड़कों पर दहाड़ रहे थे। जिन्होंने उन्हें देखा तक नहीं, सुना तक नहीं वो उनके शेर पोस्टर बैनर पर लिख आवाज़ बुलंद कर रहे थे। राहत इंदौरी साहब आपका बहुत शुक्रिया। आप हमेशा याद आएँगे। आपकी शायरी शमशीर सी बनकर चमक रही है। आपकी शायरी का प्यारा हिन्दुस्तान परचम बन लहराता रहेगा।

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